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लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन

भाग 13 
जब सारे रास्ते बंद हो जाते हैं तब लोगों को भगवान याद आते हैं । जब तक एक भी रास्ता खुला रहता है आदमी अपने हाथ पैर मारता रहता है । लेकिन जब उम्मीद का सूरज डूब जाये, आशा निराशा बन जाये , नैया बीच भंवर में फंस जाये तब इंसान भगवान को पुकारता है । वही उसकी आखिरी उम्मीद होते है । फिर भगवान भी सोचते हैं कि इसने अपनी सारी शक्ति लगा ली । अपने समस्त मित्रों , रिश्तेदारों को आजमा लिया फिर भी इसका काम नहीं बना । अब थक हार कर ये मेरी शरण में आया है तो क्यों नहीं अब इसका उद्धार कर ही दिया जाए ? तब भगवान अपनी कृपा बरसाते हैं और इंसान का बेड़ापार हो जाता है । जब और कोई सहारा ना हो तब राम का सहारा लिया जाता है । जब राम का सहारा मिल जाता है तब कैसा भी बिगड़ा हुआ काम हो वह भी बन जाता है । 

सक्षम अमेरिका में पढकर चाहे कितना भी आधुनिक बन गया हो, उसका भगवान में दृढ विश्वास था । उसका यकीन था कि ईश्वर अवश्य हैं और वे पुकारने पर अवश्य मदद करते हैं ।  उस पर कत्ल करने का आरोप है जिसके सबूत थानेदार मंगल सिंह ने जुटा रखे हैं । वह कई बार कह चुका है कि 31 मई की रात वह वहां था ही नहीं तो फिर वह कत्ल कैसे कर सकता है ? पर कोई उसकी बात पर विश्वास नहीं कर रहा था । ना पुलिस सुन रही थी और ना ही न्यायपालिका । ऊपर से मीडिया उन तीनों का चरित्र हनन कर टी आर पी बटोर रहा था । ऐसे मामलों में मीडिया को किसी की इज्ज़त नीलाम करने में बहुत मजा आता है । जब इनकी इज्ज़त नीलाम हो तो इनको पता चले लेकिन आज मीडिया ने बेशर्मी की सारी हदें पार कर दी हैं । 

आजकल मीडिया को लाइव ट्रायल करने का चस्का पड़ गया है । हर मामले में वे अपने चैनल पर किसी गेरुआ वस्त्र धारी और जाली टोपी और लंबी दाढ़ी वाले किसी मुल्ला को बैठाकर डिबेट शुरू करा देते हैं । अपराधों के मामले में इन्हें टी वी की डिबेट में क्यों बैठाया जाता है ? ये लोग गाली गलौज करते हैं , कुत्तों की तरह लाइव लड़ते हैं और कभी कभी तो ऐंकर को ही बुरा भला कहने लग जाते हैं और वह ऐंकर गाली भी सुनता रहता है । टी आर पी के लिए पता नहीं और क्या क्या करते हैं ये चैनल वाले भगवान ही जानें । जितना अधोपतन मीडिया का हुआ है उतना तो वेश्याओं का भी नहीं हुआ होगा । इस टी आर पी प्रतिस्पर्धा में कोई एक दो चैनल शामिल नहीं हैं, सभी चैनल्स यही टैक्टिस अपनाते हैं । यहां तो हमाम में सभी नंगे हैं । 

जेल की हवा खाने के बाद सक्षम को अब भगवान याद आ रहे हैं । वह सुबह शाम , दिन रात "ओम् नम: वासुदेवाय" का जाप करने लगा था । आखिर एक दिन उसकी प्रार्थना रंग लाई । भक्ति में बहुत शक्ति होती है । भक्तों का उद्धार करने के लिए भगवान नंगे पैर दौड़े चले आते हैं । भगवान ने सक्षम का उद्धार करने के लिए सौरभ को भेजा । सौरभ उसका कॉलेज का साथी था जो अमरीका चला गया था । जब वह भारत आया तो पता चला कि सक्षम जेल में है तो वह उससे मिलने जेल चला आया । सक्षम ने रो रोकर अपनी दुख भरी कहानी सुनाई तो सौरभ की आंखों में भी पानी आ गया । जब सौरभ को सक्षम के केस के बारे में मालूम हुआ तो वह सन्न रह गया था । सक्षम और अनुपमा का केस इतना उलझा हुआ था कि उसे कोई प्रतिष्ठित जासूस ही सुलझा सकता था । वह मन ही मन जासूसों के नाम याद करने लगा । 

तब उसे अपने दोस्त "हीरेन दा" का ध्यान आया । हीरेन दा कोलकाता का रहने वाला था और वह सौरभ के साथ कॉलेज में पढता था । अपने सभी यार दोस्तों से वह उम्र में बड़ा था इसलिए सब लोग उसे "हीरेन दा" ही कहकर बुलाते थे । बंगाल में बड़े भाई को दादा कहते हैं । दादा का शॉर्ट नेम "दा" होता है इसलिए सभी बंगाली बंधुओं के नाम के बाद "दा" लगाया जाता है । हीरेन दा आजकल जासूसी का काम कर रहा है । जासूसी करना उसकी हॉबी रही है । कॉलेज के समय से ही वह सबकी जासूसी करता रहता था । किस किस के बीच कब से कौन सी खिचड़ी पक रही है वह केवल सूंघकर ही बता देता था । कौन सा प्रोफेसर किस "तितली" के पीछे भाग रहा है इसकी भी जानकारी उसके पास रहती थी । इसी जासूसी के बल पर वह पास होता रहता था । कौन सी कली कब खिलकर फूल बन गई और उस पर कितने भंवरे मंडराने लगे हैं वह सबका हिसाब रखता था । परीक्षाओं के पेपर कहां रखे हुए हैं और उन्हें कैसे कबाड़ कर कॉपी कराई जाये, इस काम में उस्ताद था वह । पढने लिखने में उसकी रुचि थी ही नहीं । वह तो नकल मारकर या पेपर उड़ाकर पास हो जाता था ।  'अंदर' की बातें पता करने की उसमें बहुत बड़ी बीमारी थी । उसके इसी शौक ने उसे आज जासूस बना दिया था । 

सौरभ ने सक्षम को हीरेन दा के बारे में बताया और उसकी सेवाऐं लेने के लिए कहा । उसने कहा "हीरेन दा ने अभी अपना काम शुरू ही किया है पर उसने इस छोटी सी अवधि में खूब नाम कमा लिया है । अभी कुछ दिन पहले एक सीरियल किलर को उसने पुलिस को तब पकड़वाया जब वह एक और कत्ल करने जा रहा था । यदि वह इस केस को अपने हाथ में ले ले तो तुम जेल से बाहर आ सकते हो । पर वह बहुत कम केस अपने हाथ में लेता है । बड़ा मस्त मौला आदमी है वह" । 
"यार, कैसे भी करके उसे मेरा केस दे दो । वह जितनी फीस लेना चाहे मैं देने को तैयार हूं । बस , वह मुझे जेल से बाहर निकाल दे" । 
"क्यों , भाभी का केस नहीं देगा क्या उसे ? भाभी भी तो निर्दोष हैं । उन्हें भी जबरन फंसाया गया है इस केस में" । 
"हां यार, तू कहता तो सही है । मुझे भी लगता है कि वह भी निर्दोष है पर वो अक्षत के "सीमन" वाली बात ध्यान में आते ही मेरा खून खौल जाता है । अब तू ही बता मैं क्या करूं" ? सक्षम दुखी होकर बोला । 
"तू कुछ मत कर , हीरेन दा को अपना जासूस बना ले फिर देखना कि वह किस तरह सारा मामला पलट देता है । तो मैं उससे बात करके तुझे बताता हूं" सौरभ की बातों से सक्षम को कुछ उम्मीद लगने लगी थी । 

श्री हरि 
13.6.2023 

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10 Comments

Gunjan Kamal

03-Jul-2023 10:16 AM

Nice one

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2023 09:42 AM

🙏🙏🙏

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वानी

16-Jun-2023 07:53 PM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

17-Jun-2023 11:39 AM

🙏🙏

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